कोविदी’ लिख रहा हूँ ..कवितायें वापस आ गयी है। जब तक वायरस से मुक्ति मिलेगी, शायद किताब ही बन जाये..अभी कुछ दुःख वाली होंगी,.दुःखी हूँ ना.. फिर खुशियों पर लिखेंगे. कोविदी में ही !! सुना है और विश्वास है, कि खुशियाँ लौटेंगी। ‘वापस न आने’ वाली पूरी हो गयी है..शुरुआत उसी से ..- अंशु ..
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