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अक्टूबर 2025 संस्करण #73 (हिंदी प्रकाशन)

“हम यहाँ हैं… हमें आपकी भी ज़रूरत है!”

अप्रैल 2025 से लेकर अक्टूबर के पहले सप्ताह तक, गूंज ने राहत कार्यों का विस्तार 20 राज्यों और 65 से अधिक जिलों तक किया है। इनमें आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मणिपुर, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल सहित अन्य राज्य शामिल हैं।

हमारी स्थानीय टीम के सदस्य, जमीनी स्तर के स्वयंसेवकों और साथी संगठनों के साथ मिलकर राहत कार्यों में सबसे आगे रहे हैं। हमने बाढ़, बादल फटने, आग लगने, भूस्खलन और संघर्षों से प्रभावित लोगों तक 40,000 से अधिक राहत किट और अन्य जरूरी सामग्री पहुंचाई है।

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जॉय ऑफ शेयरिंग का महीना

अक्टूबर का महीना हमारे लिए “जॉय ऑफ़ शेयरिंग” का महीना है, जिसमें गूंज परिवार पूरे जोश और उमंग के साथ दान उत्सव के साथ जुड़ता है। इस साल यह साझेदारी और भी जरूरी हो गई है। बहुत से लोग मुश्किल हालात से गुज़र रहे हैं। ऐसे में ज़रूरत है कि हम सिर्फ महसूस न करें, बल्कि कुछ कदम भी उठाएं। “दिल की सुनो… कुछ करो…” और प्रभावित समुदायों के साथ खड़े हों।

अक्टूबर के पहले हफ्ते में, हमने 20 शहरों में 70 से ज़्यादा कैंप लगाए, जिनमें दिल्ली, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य शामिल हैं।

जानिए, आप कितने तरीकों से इसमें भाग ले सकते हैं:

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समुदाय की कहानियाँ

एक नई शुरुआत, समाज के लिए – कोलकाता की श्रीमती गौरी चटर्जी की प्रेरणादायक वॉलंटियर यात्रा

श्रीमती गौरी चटर्जी ने अपना जीवन अमेरिका में कैंसर रिसर्च के क्षेत्र में बिताया। एक लंबे और सफल करियर के बाद जब वे कोलकाता लौटीं, तो उन्होंने रिटायर होकर आराम करने का विचार नहीं किया। वापस लौटने के बाद उन्होंने ठाना कि अब वे समाज के लिए कुछ करना चाहती हैं। उन्होंने अपने नक्तला स्थित अपार्टमेंट में ही गूंज के लिए कलेक्शन कैंप की शुरुआत की। उनकी यह यात्रा बहुत शांत लेकिन लगातार चलने वाली सेवा की मिसाल है।

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गूंज… इट! एक ऊंची उड़ान!: जब दिल्ली मलयाली एसोसिएशन ने अपनी पहली कलेक्शन ड्राइव को बना दिया साझेदारी का उत्सव

दिल्ली मलयालीज़ असोसिएशन ने जब गूंज के लिए अपनी पहली कलेक्शन ड्राइव आयोजित की, तो यह सिर्फ सामान इकट्ठा करने का मौका नहीं था, बल्कि एक उद्देश्य के साथ उत्सव मनाने की शुरुआत थी। इस आयोजन में बच्चों और युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। किसी ने गुल्लकों को रंगों से सजाया, किसी ने दिल से भावनात्मक संदेश लिखे, और सबने मिलकर ये वादा किया कि साझा करने की भावना को वे अब अपने रोज़मर्रा के जीवन में भी ज़िंदा रखेंगे।

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ग्रीन बाय गूंज: उद्देश्य के साथ उपहार

हाईलाइट

गूंज का पहला क्लाइमेट + सर्कुलैरिटी हब, GROW+ के साथ साझेदारी में, न्यूयॉर्क क्लाइमेट वीक के दौरान पहला गूंज क्लाइमेट + सर्कुलैरिटी हब अस्तित्व में आया। यह एक ऐसा समावेशी और अनुभवात्मक स्थान है जहाँ जलवायु कार्रवाई के नए तरीकों को अपनाया गया, खासकर उन समुदायों की आवाज़ों को ध्यान में रखते हुए जो आपदा के सबसे करीब हैं।

इस हब में साथ मिलकर काम करने पर ज़ोर दिया गया। बातचीत गहरी और महत्वपूर्ण थीं, जिनमें खास कार्यक्रम और नए दृष्टिकोण शामिल थे।

यह सभी कार्यक्रम पहली बार हुई सहभागी प्रदर्शनी “आपदा और गरिमा” के अंदर हुए, जिसमें अंशु जी द्वारा ली हुई तस्वीरें दिखाईं गई थीं। प्रदर्शनी का उद्घाटन हुआ पश्चिमी भारत की लोक परंपराओं के प्रदर्शन से। इसके बाद, युथ की आवाज़ के अंशुल तिवारी और येल विश्वविद्यालय के क्लाइमेट चेंज कम्युनिकेशन प्रोग्राम के विशेषज्ञों के साथ जलवायु से जुड़ी जानकारी और कहानियां साझा की गईं। अंत में, The Resilient River फिल्म दिखाई गई, और इसके बाद ClimArts की संस्थापक नीलांबरी प्रसाद ने एक कार्यशाला भी आयोजित की। यह सारे कार्यक्रम आपदा और गरिमा के मुद्दों पर लोगों को जोड़ने और जागरूक करने के लिए किए गए थे।

इस हब के केंद्र में गूंज द्वारा शुरू किया गया आपदाओं पर पुनर्विचार’ सह-निर्माण  मण्डल (सर्कल) SARRD – (Societal Alliance for Resilience and Response to Disasters) था, जिसने कई देशों और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को एक साथ मिलाकर आपदा के दौरान समाज की सहनशीलता और प्रतिक्रिया पर रचनात्मक और गहन चर्चा का मंच प्रदान किया।

इसमें कई खास कार्यक्रम भी हुए – जैसे हेमल त्रिवेदी की शॉर्ट फिल्म “Where the Light Enters You” की स्क्रीनिंग, Building New Bonds के साथ मिलकर आयोजित एक मन को गहराई से छू लेने वाला Imagining Future sound meditation, और अंत में Fred Ritchin की एक सोचने पर मजबूर कर देने वाली बातचीत, जिसमें उन्होंने AI के युग में प्रभावशाली तस्वीरों की भूमिका पर चर्चा की।

यह हब एक बेहद जरूरी वैश्विक मंच बन गया, जहाँ लोग गहरे जुड़ाव, नए प्रयोग और सच्चे सहयोग के साथ काम कर सके। गूंज इस पहल को आगे भी मजबूती से लेकर बढ़ाएगा और इसे पहली बार से कहीं अधिक व्यापक बनाएगा।

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